महाराणा प्रताप का संक्षिप्त जीवन परिचय

महाराणा प्रताप (1 मई 1570-11 जनवरी, 1597), मेवाड में शशिोदया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास के वीरता और दृढ़ प्रण के लिए अमर हैं। उन्होंने कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संर्घष किया। इनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जीवत कँवर के घर हुआ था। जो पाली के सोनगण अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप का राजाभिषेक गोगुन्दा में हुआ। महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था। अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिये क्रमशः चार शन्ति दूत को भेजा। जलाल सिंह, मान सिंह, भगवान दास, टोडरमल
1573 के हल्दीघाटी युद्ध मुगलों के मध्य हुआ था इस युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले एक मात्र मुस्लिम सरदार थे हकीम खाँ शुरी। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह तथा आसफ खाँ ने किया। इस युद्ध का आँखों देखा वर्णन अब्दुल कादिर बदायूनी ने किया। इस युद्ध में 20,000 राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के 70,000 की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से धीर चुके महाराणा प्रताप को शक्तिसिंह ने बचाया। उनके प्रिय अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें 17,000 लोग मारे गएँ। मेवाड़ को जीतने के लिए अकबर ने सभी प्रयास किए। महाराणा की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती गई। 25,000 राजपूतों को 12 साल तक चले।
श्री राम सेवा समिति क्षत्रिय समाज राजाजीपुरम्, लखनऊ